हर बार निशाने/रडार पर बॉलीवुड और बॉलीवुड सितारे ही क्यों?

जी हाँ, ये सवाल तो करोड़ों बॉलीवुड फैंस के मन में बार-बार उठता है और उठना लाज़मी भी है. किसी भी बॉलीवुड सितारे से छोटी सी भी भूल या ग़लती हो जाए, बस फिर देखिये, इसी मौक़े की ताक में बैठे चन्द मीडिया और सोशल मीडिया की ट्रोल गैंग्स तो पूरा राशन-पानी लेकर उन पर चढ़ बैठती हैं. बिना उसका पक्ष सुने, बिना उसकी सफ़ाई सुने, बिना मामले की असलीयत जाने और बिना मामले की तह तक पहुंचे. स्वयं ही ट्रायल चलाकर, स्वयं ही फ़ैसला सुनाकर उसे मुजरिम या दोषी घोषित कर देती है

दिलीप कुमार-राज कपूर-देव आनन्द से लेकर शम्मी कपूर-राजेन्द्र कुमार-राज कुमार-सुनील दत्त, शशि कपूर-धर्मेन्द्र-संजीव कुमार-फ़ीरोज़ ख़ान-संजय ख़ानबॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन-राजेश खन्ना-विनोद खन्ना-शत्रुघ्न सिन्हा-विनोद मेहरा-रणधीर कपूर-ऋषि कपूर-मिथुन चक्रवर्ती-कमल हसन-राज बब्बर, गुलज़ार-जावेद अख़्तर-सलीम ख़ाननसीरुद्दीन शाह-ओम पुरीअनिल कपूर-गोविन्दा-चंकी पाण्डे-सनी देओल-जैकी श्रॉफ़-नाना पाटेकर-अन्नू कपूरआमिर-शाहरुख़-सैफ़-जावेद जाफ़री-जॉन अब्राहम-विवेक ओबेरॉय-फ़रदीन-सोनू सूद-इमरान हाशमी-शाहिद कपूर-फ़रहान-साजिद ख़ान, रणवीर कपूर-रणवीर सिंह-वरुण धवन-सिद्धार्थ मल्होत्रा-आदित्य रॉय कपूरप्रेम चोपड़ा-रज़ा मुराद-कादर ख़ान-रंजीत-शक्ति कपूर-ग्रोवर, महेश भट्ट-पहलाज निहलानी-डेविड धवन-मणि रत्नम-राम गोपाल वर्मा-करण जौहर-साजिद नाडियाडवाला-रोहित शेट्टी-अनुराग कश्यप, सरोज ख़ान-फ़रहा     

मीना कुमारी-मधुबाला--वहीदा रहमान-वैजयन्ती माला, साधना-आशा पारेख-माला सिन्हा, बबीता-शर्मिला टैगौर-मुमताज़, राखी-हेमा मालिनी-रेखा-जया बच्चन-स्मिता पाटिल-शबाना आज़मी-ज़ीनत अमान-परवीन बाॅबी, पूनम ढिल्लो-रति अग्निहोत्री-श्रीदेवी-जया प्रदा-मीनाक्षी शेषाद्रि, उर्मिला मातोण्डकर-ऐश्वर्या, सुष्मिता, जूही चावला-मनीषा कोईराला-पूजा भट्ट-काजोल-रानी मुखर्जी -शिल्पा शेट्टी-रवीना टंडन-करिश्मा-कैटरीना क़ैफ़-सोनाली बेन्द्रे-मलाइका, बिपाशा-करीना-प्रियंका-दीपिका-विद्या बालन-अमृता, अनुुष्का-आलिया-सोनाक्षी-सोनम-तापसी-श्रद्धा-रिया-रकुलप्रीत-सारा-स्वरा तक सभी इन चन्द तथाकथित मीडिया और सोशल मीडिया की ट्रोल गैंग्स के निशाने पर चुके हैं, इनकी बेहूदगियों का निशाना बनकर भी सबकुछ चुपचाप सहन चुके हैं और अब भी लगातार कर ही रहे हैं. यहाँ तक कि इन ट्रोल गैंग्स ने तो स्वर कोकिला लता मंगेशकर, खनकदार आवाज़ की मलिका आशा भौंसले, रौबदार आवाज़ के मालिक किशोर कुमार से लेकर सोनू निगम-कुमार शानू-शान और तो और अरिजीत तक को नहीं बख़्शा. ये फ़ेहरिस्त तो ट्रेलर मात्र है, और नाम लिखने बैठूँ तो महीनों लग जाएँ

संजय दत्त और सलमान ख़ान तो इस तथाकथित मीडिया और ट्रोल गैंग के लिये जैसे हॉट प्रॉपर्टी ही रहे हैं, जिन्होंने वर्षों तक इनके सर्वाधिक दंश और प्रताड़ना झेले हैं और अब भी झेल ही रहे हैं.

संजय दत्त से एक ग़लती हुई, उन्होंने स्वीकार की. देश की न्यायिक प्रणाली पर भरोसा जताया, उसके निर्णय या आदेश को माना और अपनी दम पर बॉलीवुड में पुनर्वापसी की. ठीक इसी तरह सलमान ने एक एक्सीडेंट केस में १३ साल तक चली जटिल न्यायिक प्रक्रिया का सामना किया और निर्दोष साबित हुए. लेकिन चन्द तथाकथित मीडिया और ट्रोल गैंग्स को ये भी रास नहीं आया और ख़ुद को माननीय न्यायालय से भी ऊपर मानने वाली इन गैंग्स ने दोनों पर ही ये आरोप मढ़ दिया कि अपने रुतबे और रसूख़ के चलते उन्होंने न्यायिक प्रणाली को भी अपनी मुठ्ठी में कर लिया. अरे रुतबा और रसूख़ होना उनका गुनाह हो गया क्या, जोकि उन्होंने अपनी जी-तोड़ मेहनत से बनाया या हासिल किया है? आप ही की तरह उन्हें भी अपने आपको बचाने का अधिकार भारत के संविधान ने दिया है.  

विश्वकप में हमारी टीम न्यूज़ीलैंड से हारकर बाहर क्या हुई, ट्रोल गैंग्स अंदर गईं और इसकी ज़िम्मेदार अनुष्का को बताते हुए ये तक कह डाला कि जब से अनुष्का विराट की ज़िंदगी में आई हैं, विराट का व्यक्तिगत प्रर्दशन और कप्तानी दोनों बर्बाद हो गए हैं। कुछ बेहूदाओं ने तो इससे भी आगे बढ़कर अनुष्का को 'मनहूस' तक कह डाला।          

सुशान्त प्रकरण में भी तथाकथित मीडिया और ट्रोल गैंग्स ने तो जाँच शुरू होने से पहले ही रिया को 'हत्यारी' करार दे दिया था. और आख़िर नतीजा क्या निकला? आज उस प्रकरण से रिया बाइज़्ज़त बरी है, आज़ाद है. निःसन्देह बेहद प्रतिभाशाली, हँसमुख, मिलनसार, मृदुभाषी, शान्त, युवा कलाकार सुशान्त का अचानक और असमय चले जाना उनके परिवार के साथ ही करोड़ों फैंस के लिये भी अत्यन्त दुखदायी था और सभी उनकी मृत्यु की सच्चाई को जानना चाहते थे, लेकिन इसकी आड़ लेकर चन्द लोगों ने रिया का करियर ही नहीं, पूरी ज़िन्दगी को ही तहस-नहस कर डाला. ईश्वर करे वो जल्द से जल्द इससे उबरकर, दुगुने आत्मविश्वास से पुनर्वापसी करें.

अब इन मीडिया और ट्रोल गैंग्स के निशाने पर एक बार फिर महानायक अमिताभ बच्चन और उनका परिवार तथा खिलाड़ी कुमार याने कि अक्षय कुमार हैं. अमिताभ और उनका परिवार इसलिए क्योंकि अभिनेता सांसद रविकिशन ने बॉलीवुड के नशे में गिरफ़्त होने की बात कही तो अभिनेत्री सांसद जया बच्चन ने इस पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए विरोध दर्ज कराया. बात दो सांसदों के बीच की थी, संसद की थी लेकिन इन तथाकथित मीडिया और ट्रोल गैंग्स को इसमें भी बीच में कूदना है. जया बच्चन इनके मनमाफ़िक बात न करें, इनकी मर्ज़ी से न चलें, तो इन्हें उनके पूरे परिवार का अनावश्यक विरोध या बायकॉट करना है. क्यों भई? आप देश के 'मालिक' हो क्या? इस देश में 'लोकतन्त्र' है या आपका 'तानाशाह तन्त्र'? और फिर आप ये क्यों भूल जाते हैं कि आप ही की तरह जया बच्चन को भी भारत के संविधान ने 'अभिव्यक्ति की आज़ादी' का अधिकार प्रदान किया है. इन गैंग्स को इस पर भी आपत्ति है कि इस पूरे प्रकरण में आख़िरकार अमिताभ बच्चन क्यों नहीं बोले या सीधे कहें तो इनके मन मुताबिक़ और जया बच्चन के ख़िलाफ़ क्यों नहीं बोले. क्यों भई? अब अमिताभ बच्चन को भी आपके मन मुताबिक़ बोलना या नहीं बोलना होगा? आपके मन मुताबिक़ चलना होगा? अरे पहले उनके सामने खड़े होने जितनी औक़ात तो बना लीजिये, ट्रोल-विरोध-बायकॉट बाद में करना. 

देश में किसी भी आपदा के समय किसी भी प्रकार की मदद या सहायता और देश की रक्षक भारतीय सेना के जवानों अथवा उनके परिवारों के लिये सबसे पहले और सबसे ज़्यादा दरियादिली से कोई सामने आया है तो वो हैं 'खिलाड़ी कुमार' याने अक्षय कुमार. जिनसे इन गैंग्स को शिक़ायतें इन बातों पर हैं कि एक तो उन्होंने अपनी फ़िल्म का नाम 'लक्ष्मी बॉम्ब' क्यों रखा और दूसरा ये कि वो एक मीडिया हाउस के विरोध का हिस्सा क्यों बने. तो भई, आपमें दम हो तो बनाओ फ़िल्म और रखो उसका नाम जो आपको या आपकी सोच को सूट करता हो. अपनी इच्छा, मर्ज़ी या ये कहें कि 'दादागिरी' दूसरे पर थोपना भला कैसे जायज़ है? 

अब आते हैं अक्षय द्वारा, लोकतान्त्रिक तरीक़े से, एक मीडिया हाउस के विरोध करने की बात पर. तो इसमें ट्रोल गैंग्स को क्या आपत्ति है भई? तो क्या अब आप ये चाहते हैं कि अक्षय कुमार भी आपके इशारों पर नाचें? अब आप उनके लोकतान्त्रिक तरीक़े से विरोध करने के संवैधानिक अधिकार को भी छीन लेंगे क्या? अरे आपको ये अधिकार किसने दिया? आख़िर आप होते कौन हैं?

दरअसल चन्द तथाकथित मीडिया-सोशल मीडिया ट्रोल गैंग्स की पूरी दुकानदारी बॉलीवुड की बदौलत ही चलती है. किसी भी बॉलीवुड सितारे की फंक्शन-पार्टियों से लेकर उसके अफ़ेयर, ब्रेकअप, शादी, तलाक़, किसी के जन्म (उदहारण: अबराम, तैमूर) से लेकर उसके जन्म लेने के बाद उसके चलने-बोलने-खाने-पीने और सोने तक की खबरें भी इन्हें चाहियें. बल्कि दूसरी भाषा में कहें तो मीडिया-सोशल मीडिया की इन ट्रोल गैंग्स को बॉलीवुड सितारों के चौके तक 'घुसना' है और यदि इनका बस चले तो बेडरूम और बाथरूम तक भी.

किसी भी बॉलीवुड सितारे से अनजाने में भी कोई भूल-चूक हो जाए, कोई छोटी ग़लती भी हो जाए तो ये तथाकथित मीडिया-सोशल मीडिया ट्रोल गैंग्स उस पर टूट पड़ती हैं. 

मैं पूछता हूँ आमिर, शाहरुख़, नसीर, जावेद अख़्तर ने अभिव्यक्ति की आज़ादी के अपने अधिकार के दायरे में रहकर अपने विचार प्रकट कर दिए तो बिना ये जाने कि आख़िरकार वो ऐसा बोलने पर क्यों मजबूर हुए या उनके साथ ऐसा क्या घटित हुआ कि वो अपने आप को अपनी भावनाएँ व्यक्त करने से रोक नहीं पाए, आप उन्हें सीधे 'देशद्रोही' करार दे देंगे? देशभक्त या देशविरोधी का सर्टिफ़िकेट बाँटने का अधिकार आख़िरकार आपको किसने दिया? 

क्या बॉलीवुड सितारों के अलावा किसी से दुर्घटनाएँ नहीं हुईं या होतीं? क्या हम सभी ने रईसजादों के नशे में धुत्त होकर मर्सीडीज़-बीएमडब्ल्यू या अन्य आलीशान गाड़ियों से लोगों को टक्कर मारने या कुचले जाने की घटनाएँ नहीं देखीं-सुनीं? क्या बड़े-बड़े उद्योगपतियों, राजनेताओं, नामचीन लोगों अथवा उनके बेटे-बेटियों के ड्रग्ज़ या नशीले पदार्थ लेने, रेव्ह पार्टियाँ करने की ख़बरें हमने नहीं देखीं-सुनीं? क्या हमने इनके नशे में हंगामा-उत्पात-लड़ाई-झगड़े-मारपीट-हिंसा की ख़बरें नहीं देखीं-सुनीं? निःसन्देह ये ख़बरें मीडिया-सोशल मीडिया में भी आईं लेकिन कब आईं और कब और कैसे ग़ायब हो गईं किसी को पता भी नहीं चला. लेकिन यदि यही ख़बरें बॉलीवुड जुड़े व्यक्ति या व्यक्तियों की होतीं तो लगातार ४-४ माह तक दिन में २०-२० घण्टे 'बेची' जातीं, ट्रोल की जातीं. सुशान्त प्रकरण के रूप में ताज़ातरीन उदाहरण हमारे सामने है

इन चन्द तथाकथित मीडिया-सोशल मीडिया ट्रोल गैंग्स को ये जता देना बेहद ज़रूरी है कि बॉलीवुड इण्डस्ट्री सालाना लगभग ५० हज़ार करोड़ का कारोबार करती है और जिसका लगभग एक तिहाई याने १५-१६ हज़ार करोड़ रुपये टैक्स के रूप में देकर देश की अर्थव्यवस्था में बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान देती है.   

माना कि बॉलीवुड सितारों के लाखों-करोड़ों फॉलोवर्स होते हैं जिनमें से बहुत से इन सितारों की स्टाइल्स और आदतों को कॉपी भी करते हैं और कुछ तो इनसे प्रेरित होकर इनकी हर एक बात का पूर्णतया अनुसरण भी करते हैं इसीलिये इन बॉलीवुड सितारों की समाज के प्रति अतिरिक्त ज़िम्मेदारी और कर्तव्य बनते हैं कि ये केवल समाज के सम्मुख स्वयं की साफ़-सुथरी-उज्जवल छवि प्रस्तुत करें बल्कि समय-समय पर अपने कार्यों से समाज को प्रेरित भी करते रहें. और बहुत से सितारे बिल्कुल यही करते भी हैं, वर्तमान में हम अक्षय कुमार और सोनू सूद को ऐसा करते हुए देख ही रहे हैं, समाज के लिये मिसाल बनते देख ही रहे हैं.     लेकिन इन चन्द तथाकथित मीडिया-सोशल मीडिया ट्रोल गैंग्स को ये भी नहीं भूलना चाहिये कि आख़िरकार बॉलीवुड सितारे भी उनकी-हमारी तरह इंसान ही हैं और ग़लती तो जाने-अनजाने किसी भी इंसान से हो सकती है, और जब बाक़ियों को माफ़ी तो बॉलीवुड को 'अपराधी' करार क्यों?   

शिशिर भालचन्द्र घाटपाण्डे

मुम्बई 

०९९२०४ ००११४/०९९८७७ ७००८० 

ghatpandeshishir@gmail.com

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ऐसी भी क्या जल्दी थी हरि भाई?

किशोर कुमार, संगीत की दुनियां का टिमटिमाता सितारा

महानायक ही नहीं, दिलों के नायक: