रावण एक दहन अनेक

"रावण एक, दहन अनेक"


जी हाँ, रावण तो एक ही था. मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के हाथों मारा भी एक ही बार गया था, लेकिन अभागा शायद ये नहीं जानता था कि बरसों बाद हर एक मोहल्ले की गली-गली में, बार-बार जलाया भी जाएगा.

राजनेताओं और गली-मोहल्लों की भाई गिरी और शक्तिप्रदर्शनों का और कुछ नहीं तो कम से कम एक फ़ायदा तो है कि छोटे से छोटा उत्सव-पर्व-त्यौहार भी भव्यता और तामझाम के साथ मनाया जाने लगा है. 

देश के किसी भी शहर के किसी भी गली-मोहल्ले में निकल जाईये, हर साइज़ के रावण जलने को तैयार मिलेंगे. और भले ही बुराई के प्रतीक रावण के जलने की ख़ुशी हो या फिर किसी सुरुर का असर, कानों के पर्दे फाड़ते और सीने की धड़कन को झकझोरते DJ की आवाज़ पर कूल्हे न मटकाए जाएं तो फिर भला रावण जलाने का मज़ा ही क्या? 

वैसे, अपनी बात करुं तो मैं आज बेहद ख़ुश हूँ. उजड़े, बंजर पड़े मेरे सम्पूर्ण क्षेत्र की तो मात्र मात्र २ दिनों में ही काया पलट हो गई है. अधिकतर अंधकार में डूबा रहने वाला क्षेत्र, पूरी तरह दूधिया रौशनी में नहा चुका है. और साफ़-सफ़ाई के तो क्या कहने, मजाल कि नेताजी को शिक़ायत का मौक़ा मिले!! 

जी हाँ?? 

"एक तीर दो निशाने"

एक निशाना रावण की नाभि तो दूसरा २०२३ विधानसभा चुनाव. 

सच में, ये शक्ति प्रदर्शन भी बड़ा अजीब है. तरीक़े भी अलग और निशाने भी अलग. किसी का निशाना टिकट पर तो किसी का मन्त्री की कुर्सी पर...

बहरहाल, मात्र २ दिनों में क्षेत्र की कायापलट को देखते हुए मैं तो यही कहूँगा कि काश!! हर हफ़्ते रावण दहन महोत्सव आयोजित किया जाए, कम से कम इसी बहाने बिजली, सड़क, सफ़ाई का तो विशेष ध्यान रखा जाएगा. 

तो इस रावण दहन पर भी वही मंगलकामना जो साल दर साल से हर साल करते आए हैं:

धर्म की विजय हो, अधर्म का नाश हो.

सत्य की विजय हो, असत्य की पराजय हो.

अच्छाई अजर-अमर रहे, बुराई का विनाश हो.

सियावर रामचन्द्र की जय🙏

शिशिर भालचन्द्र घाटपाण्डे

सलैया, भोपाल (मध्यप्रदेश) 

०९९२०४००१२४/०९९८७७७००८०

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