अमज़द ख़ान: फ़िल्मी पर्दे पर खलनायक, असल ज़िन्दगी में नायक



साल १९७३ में, मशहूर फ़िल्मकार चेतन आनन्द की फ़िल्म हिन्दुस्तान की क़सम में पाक़िस्तानी पायलट की भूमिका से फ़िल्मी दुनियाँ में कदम रखने वाले अमज़द ख़ान, शायद ख़ुद भी नहीं जानते थे कि अगली ही फ़िल्म में धर्मेन्द्र, संजीव कुमार, अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, जया भादुड़ी जैसे दिग्गज कलाकारों के सामने होते हुए भी वो न केवल सबसे ज़्यादा सुर्खियाँ बटोरेंगे, वाहवाही लूटेंगे, बल्कि लोगों के दिलों-दिमाग़ पर ऐसा डाका डालेंगे, जिसे लोग कभी नहीं भूल पाएँगे।

दिग्गज कलाकारों, शानदार अभिनय, सुमधुर गीत-संगीत, रोमांचकारी पटकथा, सधे हुए निर्देशन के अलावा यदि डायलॉग्स के चलते आज तक किसी फ़िल्म की चर्चा की जाती है और हमेशा की जाती रहेगी, तो वो है "शोले"। और ज़ाहिर है, शोले के डायलॉग्स की चर्चा होगी तो ज़ेहन में सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही नाम और चेहरा आएगा, अमज़द ख़ान का। वो ख़ूँख़ार डाकू गब्बर सिंह, जिसने अपनी पहली ही फ़िल्म में लाजवाब अदाकारी और ज़बर्दस्त संवाद अदायगी से लोगों के दिलों-दिमाग़ पर ऐसा डाका डाला, जिसकी ख़ूबसूरत सज़ा के बतौर उन्हें भरपूर नाम और शौहरत  हासिल हुई।

हर डायलॉग पर ताली और हर क्रूरता पर गाली। तालियों और गालियों के रुप में मिले सम्मान और पुरस्कार ही दर असल अमज़द ख़ान की बेहतरीन अदाकारी का जीता जागता सबूत थे।    

शोले की ज़बर्दस्त और ऐतिहासिक क़ामयाबी के बाद, अमज़द ख़ान के पास फ़िल्मों की झड़ी लग गई। चरस, परवरिश, शतरंज के खिलाड़ी, इंकार, देस-परदेस, क़समें वादे, मुक़द्दर का सिक़न्दर, गंगा की सौगन्ध, मिस्टर नटवरलाल, सुहाग, दादा, लुटमार, क़ुर्बानी, हम से बढ़कर कौन, याराना, नसीब, रॉकी, कालिया, बरसात की एक रात, लव स्टोरी, लावारिस, देशप्रेमी, धर्मकाँटा, दौलत, सम्राट, बग़ावत, सत्ते पे सत्ता, इंसान, हिम्मतवाला, महान, नास्तिक, बड़े दिलवाला, उत्सव, मोहब्बत, पाताल भैरवी, लव एण्ड गॉड, सिंहासन, चमेली की शादी, इंसानियत के दुश्मन, मालामाल, इंतक़ाम, पीछा करो, दिल ही तो है, रुदाली जैसी यादगार फ़िल्मों में उन्होंने क्रूर खलनायक, हास्य पात्रों और चरित्र भूमिकाओं को जीवन्तता से जीया।

फ़िल्मी पर्दे पर बेहद क्रूर खलनायक के रुप में, क्रूरता की सारी हदें पार करने वाले अमज़द ख़ान, असल ज़िन्दगी में अत्यन्त दयालु और शान्त प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उन्होंने जूनियर आर्टिस्ट्स, स्टण्टमेन्स, डुप्लिकेट्स, टेक्निशियंस, लाइट-सेट-स्पॉट मेम्बर्स और फिल्मों से जुड़े अन्य तमाम कर्मियों सहित, फ़िल्म निर्माताओं की भी कई बार आर्थिक मदद की थी, जिसका ज़िक्र एक साक्षात्कार के दौरान, उनके घनिष्ठ मित्र अमिताभ बच्चन ने भी किया था।  

नियति के क्रूर हाथों ने २७ जुलाई १९९२ को मात्र ५२ वर्ष की आयु में उन्हें हमसे सदा के लिये छीन लिया।

लेकिन एक उम्दा कलाकार और बेहतरीन इन्सान रुप में अमज़द ख़ान, लोगों के दिलों में हमेशा ज़िन्दा रहेंगे। 

आज १२ नवम्बर को जन्मदिवस पर, अमज़द ख़ान साहब को विनम्र श्रद्धान्जलि।  

 

शिशिर भालचन्द्र घाटपाण्डे

०९९२०४ ००११४/०९९८७७ ७००८०

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