जल्द से जल्द सफल राजनेता बनने के अचूक एवम् कारगर तरीक़े:



"Career", इस विषय का ध्यान आते ही, इस पर किसी प्रकार की चर्चा शुरु होते ही या ये शब्द ज़ेहन में आते ही अभिभावकों और विद्यार्थियों के माथे पर चिन्ता की लकीरें उभर ही आती हैं. सभी अपने-अपने लक्ष्य यानी Target:
IAS
IPS 
Actor
Artist
Doctor
Singer
Engineer
Musician
Sportsman/Sportswomen वगैरह को हासिल करने लिये जी-जान से जुट जाते हैं.

लेकिन हम इन सबसे अलग और बिल्कुल ही हट के, आज के सबसे चर्चित क्षेत्र में Career बनाने हेतु मार्गदर्शन देने के साथ- साथ, उसे हासिल करने लिये कुछ बेहतरीन Tips भी बताएंगे. जी हाँ, आपने बिल्कुल सही पहचाना. Career बनाने के लिये सबसे आसान, चर्चित, उभरता, Powerful और Name-Fame देने वाला क्षेत्र या ज़रिया "राजनीति". तो तैयार हो जाईये और बहुत ही ध्यान से पढ़िये, ये👇बेहद कारगर नुस्ख़े:
 
सबसे पहले किसी सीधे-सादे, ईमानदार आन्दोलनकारी को अपना गुरु बनाकर, उसे अपनी सीढ़ी बनाकर, उसका पूरा इस्तेमाल करें. और जब अपना स्वार्थ अथवा राजनैतिक मक़सद पूरा हो जाए तो उसे दूध में से मख्खी की तरह निकाल फेंकें...  

देश के तमाम नेताओं को भ्रष्ट करार देकर, स्वयं को को भ्रष्टाचार एवं भ्रष्ट लोगों के ख़िलाफ़ लड़ने वाला क्रान्तिकारी घोषित कर दें...

पहले तो जनता से चीख़-चीख़ कर ये सफ़ेद झूठ बोलें "राजनीति में कभी नहीं आएँगे जी"...

राजनीति में आने के बाद Media, TV के सामने और और सार्वजनिक रुप से:

नेक, 
ग़रीब, 
भोला,
मासूम, 

बेबस, 
लाचार, 
मजबूर, 
असहाय,  

पीड़ित
दुखियारा,
लुटा-पिटा, 
दबा-कुचला, 

सज्जन-दयालु, 
सच्चा-ईमानदार

बनने का ऐसा ढोंग-स्वांग रचाएँ कि अच्छे से अच्छे कलाकार और Oscar Winner भी शर्मा जाएँ...

कम से कम समय में भारतीय राजनैतिक इतिहास के सबसे बड़े:

धूर्त, 
झूठे, 
४२०,
कपटी, 
फ़रेबी, 
शातिर, 
स्वार्थी, 
लालची, 
मक्कार, 
धोख़ेबाज़, 
झांसेबाज़,
जालसाज़ बन जाएँ...

अपने तमाम पुराने, सच्चे, सुख-दुःख के साथियों को भी दूध में से मख्खी की तरह निकाल कर फेंक दें, क्योंकि अब आपको उनकी कोई आवश्यकता नहीं रह गई है...

अब आपको अपने राजनैतिक स्वार्थ और महत्वाकांक्षा की पूर्ति करने का वक़्त बिल्कुल नज़दीक आ गया है. इसीलिये अब उन तमाम राजनेताओं से नज़दीक़ियाँ बढ़ा लें जिन्हें आप चीख़-चीख़ कर भ्रष्ट घोषित करते रहे हैं...

यदि कभी किसी सवाल पर फँसते दिखाई दें और ज़रुरत पड़े तो अपने परिवारजन और यहाँ तक कि बच्चों की झूठी क़सम भी खा लें... 

अब कुछ बातें ख़ासतौर पर गाँठ बाँध लें, घुट्टी की तरह घोलकर पी जाएँ:

झूठ का क़िला बनाना है.
भरोसे का क़त्ल करना है.
फ़रेब का हवामहल बनाना है.
धोख़े का सब्ज़ बाग़ दिखाना है.
मुफ़्त का जंजाल खड़ा करना है,
झूठे वादों का मायाजाल बुनना है.
गालियाँ हमेशा बन्द कमरे में देना है 
घर-परिवार, नाते-रिश्तेदार, दोस्त-यार सबका साथ छोड़ देना है.
और
Media-TV के सामने या सार्वजनिक पर, बोलना हमेशा मरेली आवाज़ में है और खाँसना तो हर वाक्य में है.

और हाँ!!! हो सके तो एकाध पुराना मफ़लर लपेटना है, पुराना नीला स्वेटर भी पहनना है...

बस कुछ ही समय में: कुर्सी आई, खांसी गई... 

शिशिर भालचन्द्र घाटपाण्डे
०९९२०४ ००११४/०९९८७७ ७००८०
ghatpandeshishir@gmail.com

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