"लता मंगेशकर एक अजर-अमर-शाश्वत नाम"

 

"लता मंगेशकर एक अजर-अमर-शाश्वत नाम"

नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा!
मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे!!

तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे!
जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे,
संग संग तुम भी गुनगुनाओगे!!

कितनी सार्थक हैं ये पंक्तियाँ स्वर कोकिला, माँ सरस्वती का वरदान प्राप्त श्रद्धेय लता मंगेशकर जी यानी हम सबकी "लता दीदी" पर.

२८ फरवरी १९२९ को मध्यप्रदेश के इन्दौर में अवतरित लता दीदी का घरेलू माहौल पूर्णतः संगीत-कलामय ही था. उनके पिता श्री दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच के सुप्रसिद्ध गायक-कलाकार थे. १९४२ में पिता के निधन के बाद, मात्र तेरह वर्ष की आयु में ही लता दीदी के ऊपर तीन छोटी बहनों एवं एक छोटे भाई की ज़िम्मेदारी एवं जवाबदारी आन पड़ी, और ये बताने की ज़रूरत नहीं कि किस ख़ूबी से उन्होंने अपनी इस ज़िम्मेदारी और जवाबदारी को निभाया और अपने चारों भाई-बहनों को उनकी मंज़िल-मक़ाम तक पहुँचाया, नाम-काम-शौहरत से उनका परिचय कराया.

१९४७ में प्रदर्शित "आपकी सेवा में" लता दीदी को पार्श्व गायन का पहला अवसर मिला. बस फिर क्या था, लता दीदी ने अपनी सुरीली आवाज़ का वो जादू चलाया कि थोड़े अन्तराल में ही "स्वर सम्राज्ञी", "स्वर कोकिला" बनकर समूचे "Film जगत" में छा गईं. उनके नाम का एकतरफ़ा डंका बजने लगा, निर्माता-निर्देशक-गीतकार-संगीतकार उनसे गीत गवाने ले लिये लालायित रहने लगे, उनके गीत और उनका नाम तो जैसे सफ़लता की Guarantee ही माने जाने लगे. इतना ही नहीं, दिग्गज गायक मुकेश, मोहम्मद रफ़ी, मन्ना डे, हेमन्त कुमार, किशोर कुमार भी लता दीदी के साथ युगल गीत गाने पर प्रसन्नता और गौरव का अनुभव करते थे.

लता दीदी ने हुस्नलाल-भतराम, ग़ुलाम हैदर, शंकर-जयकिशन, मदन मोहन, रामचन्द्र चितलकर (सी. रामचन्द्र), अनिल बिस्वास, सचिन देव बर्मन, सलिल चौधरी, रौशन, चित्रगुप्त, वसन्त देसाई, सरदार मलिक, हेमन्त कुमार, नौशाद, ग़ुलाम मोहम्मद, कल्याण जी-आनन्द जी, लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल से लेकर राहुल देव बर्मन, ख़य्याम, हृदयनाथ मंगेशकर, शिव-हरि, ए आर रहमान, अन्नू मलिक, नदीम-श्रवण, आनन्द-मिलिन्द, जतिन-ललित, उत्तम सिंह जैसे संगीतकारों के साथ २५ से अधिक भाषाओँ में ५० हज़ार से भी अधिक गीतों को अपनी सुरीली, कर्णप्रिय, मन्त्रमुग्ध कर देने वाली जादुई आवाज़ में पिरोया है.         

इन तमाम संगीतकारों की भिन्न, निराली, अनूठी शैलियों में लता दीदी ने अपने आपको इतनी ख़ूबी के साथ ढाला और सम्मिश्रित किया कि संगीतकार स्वयं ही बोल उठते थे कि लता दीदी के अलावा ये गीत किसी और से गँवाने की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.



चाहे वो:
शंकर-जयकिशन, राहुल देव बर्मन की पाश्चात्य-भारतीय संगीत की सम्मिश्रित शैली हो
या
मदन मोहन, रौशन, सरदार मलिक की ग़ज़लीय शैली,
अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, सचिन देव बर्मन, हृदयनाथ मंगेशकर, ए आर रहमान की लोक गीत शैली हो
या
ग़ुलाम हैदर, हुस्नलाल-भगतराम, चित्रगुप्त, नौशाद, हेमन्त कुमार, ग़ुलाम मोहम्मद, ख़य्याम की Soft Music शैली. 
रामचन्द्र चितलकर की नृत्य आधारित शैली हो
या
वसन्त देसाई की शास्त्रीय गीत-संगीत शैली. 
कल्याणजी-आनन्दजी, लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल की तत्कालीन आधुनिक शैली हो
या 
शिव-हरि, अन्नू मलिक, नदीम-श्रवण, आनन्द-मिलिन्द, जतिन-ललित, उत्तम सिंह जैसे संगीतकारों की आधुनिक Romance की शैली. तमात शैलियों-विधाओं में लता दीदी को तो जैसे महारत ही हासिल थी. हर एक शैली में लता दीदी द्वारा गाया हर एक गीत यादगार बन गया.
 
अभिनय सम्राट दिलीप कुमार यानी की लता दीदी के प्रिय यूसुफ़ भाई को लता दीदी अपना बड़ा भाई मानती थीं तो यूसुफ़ भाई भी उनका ख़्याल बिल्कुल छोटी बहन की तरह रखते थे. महान Cricketer सचिन तेन्दुलकर को वो पुत्रवत मानती थीं तो सचिन भी उन पर मातृवत स्नेह रखते थे. प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी की राजनैतिक कुशलता की वो प्रशंसक थीं तो प्रधानमन्त्री भी न केवल उनका बेहद सम्मान करते थे बल्कि दोनों हाथ जोड़कर लता दीदी के चरणस्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेते थे.

इकलौते एवं सबसे छोटे होने के कारण लता दीदी का सबसे ज़्यादा स्नेह भाई हृदयनाथ मंगेशकर को मिला तो एकाध अवसर पर हँसते-हँसते लता दीदी ने ये भी कहा कि "सबसे छोटा होने के बावजूद ये मुझ पर पिता की तरह हुक़्म चलाता है". हृदयनाथ के सुपुत्र आदिनाथ मंगेशकर को लता दीदी ने दत्तक लिया है.

६ फ़रवरी २०२२ को भारत रत्न श्रद्धेय लता मंगेशकर जी यानी लता दीदी ने शरीर से संसार को अलविदा भले ही कह दिया हो लेकिन लता दीदी जैसे लोग अपने नाम-काम के कारण ब्रह्माण्ड के अस्तित्व एवं सृष्टि की संरचना तक, सुमधुर-अविस्मरणीय स्मृतियों के रुप में, जन-जन के मन-मस्तिष्क-हृदय में, सदैव अजर-अमर-शाश्वत हैं.

जन्मदिवस पर श्रद्धेय लता दीदी को विनम्र-भावपूर्ण श्रद्धांजलि, सादर प्रणाम🙏

     
शिशिर भालचन्द्र घाटपाण्डे
०९९२०४ ००११४/०९९८७७ ७००८०
ghatpandeshishir@gmail.com

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