कैसे बाहर निकलें, नैराश्य एवम् नकारात्मकता के गहन अंधकार से 🤔
भरपूर लगन, जीतोड़-अथक-ईमानदार प्रयासों के बावजूद सफलता प्राप्त न होना। बनते कामों का बिगड़ जाना। मन में घोर नकारात्मकता-नैराश्य के भाव-विचार उत्पन्न होना। बात-बात पर अत्यधिक क्रोध एवम् चिड़चिड़ापन। ऐसा लगने लगे, मानों जीवन में सबकुछ ग़लत ही हो रहा है। परिजनों, संगी-साथियों, अभिन्न मित्रों से भी व्यर्थ एवम् बारम्बार वाद-विवाद, यहां तक कि लड़ाई-झगड़े होना। अकारण ही, लोगों के प्रति मन में द्वेष, ईर्ष्या, घृणा, अत्यधिक क्रोध के भाव उत्पन्न होना। अकारण ही लोगों को स्वयं का घोर विरोधी एवम् यहां तक कि शत्रु समझने लगना। सबकुछ छोड़ छाड़कर कहीं दूर भागने का विचार उत्पन्न होना। दिन/संध्या ढलते ही उदासीनता के भाव उत्पन्न होना। जीवन अंधकारमय लगने लगना। एवम् मन में बारम्बार अपना जीवन समाप्त करने जैसे विचार उत्पन्न होना। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी ऐसा दौर अवश्य ही आता है। लेकिन, इस अत्यन्त कठिन या बेहद मुश्किल दौर का सहजता से सामना करना भी बेहद आसान है। बस कुछ महत्वपूर्ण बातों पर बारीक़ी से ध्यान देना होगा, उनका अनुपालन-अनुसरण करना होगा। जैसे: १. सबसे ...
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