हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई एवम् अनन्त शुभकामनाएँ💐

 

"Happy Hindi Day"
हिन्दी दिवस पर हमें इस तरह की शुभकामनाएँ, बधाईयाँ भी देखने-सुनने को मिल जाती हैं। ग़लती इनकी तो है लेकिन इनसे कहीं ज़्यादा सरकारों और राजनेताओं की जो हिन्दी को आज तक समूचे हिन्दुस्तान में मान्यता, दर्जा नहीं दिला पाए।

हिन्दी को:

समूचे देश में अनिवार्य किया जाना चाहिये,

पाठ्यक्रमों में सम्मिलित कर अनिवार्य किया जाना चाहिये,

आम बोलचाल की भाषा में केवल हिन्दी का ही प्रयोग किया जाना चाहिये,

लेखन में अन्य भाषा की अनिवार्यता न हो तो केवल हिन्दी का ही प्रयोग किया जाना चाहिये।

लेकिन

इसके विपरीत, आजकल तो अंग्रेज़ी का चलन-प्रचलन-प्रयोग मानो शान का प्रतीक ही बन गया है। आम, साधारण बोलचाल में एवम् जहाँ अनिवार्य न हो वहाँ भी अंग्रेज़ी हांकना उपलब्धि समझा जाने लगा है।

कोई भी भाषा बुरी नहीं होती, प्रत्येक भाषा का अपना महत्व है, और भारत तो भाषाओं-बोलियों का देश है। भारत में २२ भाषाएँ एवम् लगभग साढ़े १९ हज़ार बोलियाँ मातृभाषा के रुप में बोली जाती हैं।

राष्ट्रभाषा एवम् मातृभाषा के अतिरिक्त अन्य भाषा-भाषाओं का ज्ञान होना भी अच्छी बात है लेकिन प्राथमिकता, सर्वोपरिता राष्ट्रभाषा अर्थात् हिन्दी को ही दी जानी चाहिये, क्योंकि एकमात्र हिन्दी ही राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को एक-दूसरे से जोड़कर रखी सकती है, एकता के सूत्र में पिरोकर रख सकती है।

क्या गोरी चमड़ी वाले विदेशी-फिरंगी
अथवा
चपटे मंगोल
अथवा
५७ इस्लामिक देश हिन्दी  का प्रयोग करते हैं अथवा करने में अपनी शान समझते हैं?

तो फिर हिन्दुस्तानी ही क्यों विदेशी भाषा के अनावश्यक प्रयोग में भी अपनी शान समझते हैं?

केन्द्र सरकार हिन्दी को समूचे हिन्दुस्तान में अनिवार्य करे
और
हिन्दुस्तान की तमाम राज्य सरकारें पाठ्यक्रमों में।


हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई एवम् अनन्त शुभकामनाएँ💐


सदैव आपका शुभाकांक्षी, 


शिशिर भालचन्द्र घाटपाण्डे

०९९२०४००११


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