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लोकतन्त्र उत्सव-मध्यप्रदेश

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                                                          लोकतन्त्र उत्सव-मध्यप्रदेश आगामी १७ नवम्बर को हम सभी को लोकतन्त्र महोत्सव की अनिवार्य परम्परा का निर्वहन अर्थात मतदान करना है. स्वच्छ, स्वस्थ लोकतन्त्र की स्थापना का सबसे अनिवार्य तत्व है "आदर्श आचार संहिता". तो आईये, मिलकर संकल्प लें कि हम न केवल स्वयं "आदर्श आचार संहिता" का पूर्ण परिपालन करेंगे वरन दूसरों को भी इसका पालन करने हेतु प्रेरित-प्रोत्साहित करेंगे.  इसके लिये सबसे पहले हमें "आदर्श आचार संहिता" के मूलभूत सिद्धान्तों एवं तत्वों का पूर्ण ज्ञान होना अत्यन्त अनिवार्य है.  १.  शासकीय भवन-कार्यालय-मन्त्रालय-विद्या लय-महाविद्यालय-विश्वविद्यालय- चिकित्सालय एवं अन्य किसी भी प्रकार की शासकीय सम्पत्ति पर किसी भी प्रकार की प्रचार सामग्री जैसे: पर्चे, बैनर, झण्डे,  पेंटिंग,  पोस्टर, होर्डिंग, फ़्लैक्स इत्यादि न लगाना तथा किसी के द्वारा ऐसा करते पाए जाने पर तत्...

महानायक ही नहीं, दिलों के नायक

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  हिन्दी के सुविख्यात कवि श्री हरिवंशराय बच्चन और समाजसेविका श्रीमती तेजी बच्चन के यहाँ ११ अक्टूबर १९४२ को जब पहली सन्तान ने जन्म लिया तब शायद किसी ने सपने में भी ये सोचा नहीं होगा कि क़द के साथ-साथ उसकी ख्याति ऊँची होकर विश्व भर में छा जाएगी. देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत श्री हरिवंशराय बच्चन ने बड़े दुलार से उस बालक का नाम इंक़लाब रखा लेकिन बाद में अपने अभिन्न मित्र और सुविख्यात कवि श्री सुमित्रानन्दन पन्त के कहने पर परिवर्तित करके अमिताभ नाम दिया. अमिताभ, जिसका अर्थ है सदैव दैदीप्यमान, कभी न मिटने वाला प्रकाश अथवा सूर्य. वाकई, कितना सार्थक साबित हुआ ये नाम. सुविख्यात कवि और समाजसेविका के पुत्र होने और देश के सबसे बड़े राजनैतिक घराने से गहन पारिवारिक सम्बन्धों के बावजूद अति विलक्षण प्रतिभा के धनी अमिताभ ने तो अपने बलबूते पर कुछ और ही करगुज़रने की ठान ली थी. स्कूली दिनों से शुरू हुआ अभिनय का शौक़ या कहें कि जुनून कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म होने के साथ-साथ और भी बढ़ता गया. हालांकि, १९६३ से १९६८ तक पाँच साल कलकत्ता में दो प्रतिष्ठित कम्पनियों में नौकरी भी की, लेकिन मन में तो कुछ और ही चल र...