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विपरीत समय के लक्षणों को पहचानें, उन्हें दूर कर सकारात्मकता की ओर बढ़ें

ये सार्वभौमिक सत्य है कि समय अच्छी एवम् विपरीत के परिस्थितियों के संकेत देता है। यदि इन संकेतों को पहचान लें तो विपरीत परिस्थितियों से लड़ने में भी काफ़ी मदद एवम् शक्ति मिल सकती है। १. घर में बारम्बार कोई न कोई मरम्मत अथवा सुधार कार्य जैसे: Electricity, Plumbing, मिस्त्री, Electronic उपकरणों, अन्य वस्तुओं से सम्बन्धित इत्यादि निकलते रहना। २. भवन में भी Lift, बिजली, पानी से सम्बन्धित परेशानी लगातार बनी रहना अथवा उत्पन्न होना। ३. भवन, परिसर में अशान्ति का वातावरण जैसे: वाद-विवाद, शिक़ायतें, शोर शराबा, ध्वनि प्रदूषण, वाहनों की आवाजाही-Horn इत्यादि बने रहना। ४. घर, भवन, परिसर में अस्वच्छता पसरी होना। ५. घर में अनवरत किसी न किसी को स्वास्थ्य सम्बन्धी कष्ट बने रहना। ६. अथक एवम् ईमानदार प्रयासों के बावजूद सफलता प्राप्त न होना। ७. अभाग्य-दुर्भाग्यवश, बनते कामों का भी बिगड़ जाना। ८. घर में अशान्ति का वातावरण होना। ९. बात-बात पर, अत्यन्त मामूली बात पर भी अत्यधिक क्रोध आना तथा चिड़चिड़ापन होना। १०. मन में सदैव नकारात्मक विचार-भावों का उमड़ना। ११. परिजनों, मित्र-सम्बन्धियों, हितैषी-शुभचिन्तकों की ...

"पुलिस", दुष्कर-कठिनतम परिस्थितियों में भी जनरक्षा हेतु सदैव तत्पर।

अपने: घर-परिवार  दोस्त-यार तीज-त्यौहार, परे रखकर: अपना निजी/व्यक्तिगत जीवन, अपना सर्वस्व जनसुरक्षा हेतु न्यौछावर कर, पल-पल, क्षण-क्षण सदैव नि:स्वार्थ सेवा में तत्परता का: अद्वितीय  अतुलनीय उदाहरण है "पुलिस"। राजनेताओं के  रसूख़दारों के  आमजन के भारी दबावों के बीच,  अत्यन्त दुष्कर-कठिनतम परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले,  सदैव अपने प्राणों एवम् परिजनों के भविष्य को दांव पर लगाकर भी कार्य में तत्परत रहने वाले, देश एवम् समाज के रक्षकों को बदलें में क्या मिलता है?🤔 यहां तक कि, अपराधियों पर भी ठोस कार्यवाही करो तब भी आलोचना। राजनेताओं-रसूख़दारों के दबाव में आए बिना, अपराधियों पर कठोर कार्यवाही करो तो घर-परिवार से दूर, बारम्बार स्थानान्तरण और कभी-कभी तो निलम्बन। अपेक्षित जनसहयोग न मिलने के चलते, कभी किसी प्रकरण-कार्यवाही में विलम्ब होने पर भारी जन आक्रोश का सामना। २०२० कानपुर की घटना हो या दिल्ली दंगे, हज़ारों ऐसी घटनाएं हैं, जहां पुलिसकर्मियों को अपने प्राणों की आहूति देनी पड़ी है, गम्भीर घायल होना पड़ा है।  लेकिन,  यदि आत्मरक्ष...

कैसे बाहर निकलें, नैराश्य एवम् नकारात्मकता के गहन अंधकार से 🤔

भरपूर लगन, जीतोड़-अथक-ईमानदार प्रयासों के बावजूद सफलता प्राप्त न होना। बनते कामों का बिगड़ जाना।  मन में घोर नकारात्मकता-नैराश्य के भाव-विचार उत्पन्न होना।  बात-बात पर अत्यधिक क्रोध एवम् चिड़चिड़ापन।  ऐसा लगने लगे, मानों जीवन में सबकुछ ग़लत ही हो रहा है। परिजनों, संगी-साथियों, अभिन्न मित्रों से भी व्यर्थ एवम् बारम्बार वाद-विवाद, यहां तक कि लड़ाई-झगड़े होना। अकारण ही, लोगों के प्रति मन में द्वेष, ईर्ष्या, घृणा, अत्यधिक क्रोध के भाव उत्पन्न होना। अकारण ही लोगों को स्वयं का घोर विरोधी एवम् यहां तक कि शत्रु समझने लगना। सबकुछ छोड़ छाड़कर कहीं दूर भागने का विचार उत्पन्न होना।  दिन/संध्या ढलते ही उदासीनता के भाव उत्पन्न होना। जीवन अंधकारमय लगने लगना। एवम्  मन में बारम्बार अपना जीवन समाप्त करने जैसे विचार उत्पन्न होना। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी ऐसा दौर अवश्य ही आता है। लेकिन, इस अत्यन्त कठिन या बेहद मुश्किल दौर का सहजता से सामना करना भी बेहद आसान है। बस कुछ महत्वपूर्ण बातों पर बारीक़ी से ध्यान देना होगा, उनका अनुपालन-अनुसरण करना होगा। जैसे:  १. सबसे ...