कैसे बाहर निकलें, नैराश्य एवम् नकारात्मकता के गहन अंधकार से 🤔
मन में घोर नकारात्मकता-नैराश्य के भाव-विचार उत्पन्न होना।
बात-बात पर अत्यधिक क्रोध एवम् चिड़चिड़ापन।
ऐसा लगने लगे, मानों जीवन में सबकुछ ग़लत ही हो रहा है।
परिजनों, संगी-साथियों, अभिन्न मित्रों से भी व्यर्थ एवम् बारम्बार वाद-विवाद, यहां तक कि लड़ाई-झगड़े होना।
अकारण ही, लोगों के प्रति मन में द्वेष, ईर्ष्या, घृणा, अत्यधिक क्रोध के भाव उत्पन्न होना।
अकारण ही लोगों को स्वयं का घोर विरोधी एवम् यहां तक कि शत्रु समझने लगना।
सबकुछ छोड़ छाड़कर कहीं दूर भागने का विचार उत्पन्न होना।
दिन/संध्या ढलते ही उदासीनता के भाव उत्पन्न होना।
जीवन अंधकारमय लगने लगना।
एवम्
मन में बारम्बार अपना जीवन समाप्त करने जैसे विचार उत्पन्न होना।
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी ऐसा दौर अवश्य ही आता है। लेकिन, इस अत्यन्त कठिन या बेहद मुश्किल दौर का सहजता से सामना करना भी बेहद आसान है। बस कुछ महत्वपूर्ण बातों पर बारीक़ी से ध्यान देना होगा, उनका अनुपालन-अनुसरण करना होगा। जैसे:
१. सबसे पहले तो स्वयं को इस बात का विश्वास दिलाएं कि संसार में सबसे अधिक बलवान, समय है। समय की इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता। और ये सार्वभौमिक सत्य है कि समय को गुज़रने से कोई नहीं रोक सकता। इसीलिये, विपरीत समय अथवा परिस्थितियों को गुज़रने से भी कोई नहीं रोक सकता।
२. प्रयासों में कभी कमी न आने दें। आशानुरूप परिणाम न आने पर, सबकुछ समय पर छोड़ दें, सम्भावित विकल्पों की तलाश करें।
३. सदैव अच्छी संगत में एवम् सकारात्मक व्यक्तियों के साथ रहें।
४. परिजन, संगी-साथी , मित्र से विवाद की परिस्थिति निर्मित होती दिखाई दे तो तुरन्त वहां (उस स्थान) से स्वयं को दूर कर लें। और यदि ये कर पाना सम्भव न हो तो अपने मन पर पूर्ण नियन्त्रण का प्रयास करते हुए, पूर्णतः शान्त रहें। बिल्कुल भी प्रतिकार न करें, प्रत्युत्तर न दें।
५. जब मन अशान्त, निराश हो अथवा मन में नकारात्मक विचार उत्पन्न हों तो तत्काल किसी स्वच्छ, निर्मल, शान्त अथवा धार्मिक स्थल पर चले जाएं। नास्तिक हों तब भी धार्मिक स्थल के किसी एकान्त-शान्त स्थान पर कुछ समय के लिये बैठ जाएं एवम् मनन-चिन्तन करें कि आख़िर कहां और कैसी चूक हो रही है।
६. सदैव अपने घर, कक्ष, कार्यस्थल को स्वच्छ, सुन्दर, पवित्र वातावरण समान रखें।
७. घर, कक्ष, कार्यस्थल पर सकारात्मक वस्तुएं, चित्र, पौधे, सम्भव हो तो छोटा सा मत्स्यालय रखें।
८. पठन-पाठन में रुचि हो तो सकारात्मक पुस्तकें पढ़ें।
९. संगीत में रुचि हो तो सुमधुर गीत-संगीत सुनें, अच्छे कार्यक्रम देखें।
१०. अपने शहर-कस्बे-ग्राम के ही, प्राकृतिक-नैसर्गिक सौन्दर्य युक्त स्थानों पर भ्रमण करें।
११. सम्भव हो प्रतिदिन प्रातः-संध्या मात्र दस-दस मिनट के लिये योग, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम, कपालभाति करें।
१२. सात्विक आहार लें।
१३. भरपूर निद्रा लें।
१४. अपने घर-परिवार, मित्र-यार, समाज-देश हेतु कुछ करने का संकल्प करें एवम् संकल्प पूर्ति हेतु लक्ष्य निर्धारित करें।
१५. अपने आदर्श/महापुरुष की जीवनी, कार्यों, जीवनचर्या से प्रेरणा लेकर, उनका अनुसरण करें।
ब्रह्माण्ड की सर्वाधिक सुन्दर संरचना मानव जीवन है, जो अत्यन्त सौभाग्यशाली व्यक्तियों को ही प्राप्त होता है। अतः इसका एक क्षण भी व्यर्थ गंवाए बिना, प्रत्येक क्षण को सार्थक बनाएं।
सदैव शुभाकांक्षी,
शिशिर भालचन्द्र घाटपाण्डे
०९९२०४००११४/०९१११९०३१३१
Very nice 👍
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