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"कर्मयोगी बनिये, धर्मान्ध या भाग्य भोगी नहीं"

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                              "कर्मयोगी बनिये, धर्मान्ध या भाग्य भोगी नहीं" कहाँ है ऊपरवाला? जी हाँ, मन-मस्तिष्क में ये ज्वलन्त-तीख़ा सवाल हज़ारों-लाखों बार, बारम्बार तब उठता है जब मैं: मासूम, अबोध, अबोले, नौनिहालों को: भूख़-प्यास से रोते-बिलखते-तड़पते देखता हूँ, पानी की तेज़ बौछारों और कँपकँपाती हड्डी तोड़ ठण्ड में भी, चीथड़ों में लिपटे देखता हूँ, छोटी-छोटी बातों-चीज़ों-वस्तुओं के लिये भी तरसते-ललचाते-बिलबिलाते-मन मारते देखता हूँ, और जब उन तमाम: बेबस, लाचार, मजबूर, असहाय इन्सानों को देखता हूँ, जो अपने मासूम बच्चों और मन ही मन मौत की भीख़ माँगते वृद्ध परिजनों के लिये चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते बस मन मसोस कर और अपने आप को कोस कर रह जाते हैं, दुःख के अथाह सागर में डूबे उनके आँसू उनकी पीड़ा-व्यथा बिल्कुल साफ़ बयाँ कर जाते हैं. कोई दौलत के सागर में डूबा है तो कोई उसकी एक-एक बूँद को तरस रहा है. कोई आलीशान कोठियों या आधुनिक महलनुमा घरों में सम्पूर्ण भोग-विलास...

"लता मंगेशकर एक अजर-अमर-शाश्वत नाम"

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  "लता मंगेशकर एक अजर-अमर-शाश्वत नाम" नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा! मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे!! तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे! जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे, संग संग तुम भी गुनगुनाओगे!! कितनी सार्थक हैं ये पंक्तियाँ स्वर कोकिला, माँ सरस्वती का वरदान प्राप्त श्रद्धेय लता मंगेशकर जी यानी हम सबकी "लता दीदी" पर. २८ फरवरी १९२९ को मध्यप्रदेश के इन्दौर में अवतरित लता दीदी का घरेलू माहौल पूर्णतः संगीत-कलामय ही था. उनके पिता श्री दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच के सुप्रसिद्ध गायक-कलाकार थे. १९४२ में पिता के निधन के बाद, मात्र तेरह वर्ष की आयु में ही लता दीदी के ऊपर तीन छोटी बहनों एवं एक छोटे भाई की ज़िम्मेदारी एवं जवाबदारी आन पड़ी, और ये बताने की ज़रूरत नहीं कि किस ख़ूबी से उन्होंने अपनी इस ज़िम्मेदारी और जवाबदारी को निभाया और अपने चारों भाई-बहनों को उनकी मंज़िल-मक़ाम तक पहुँचाया, नाम-काम-शौहरत से उनका परिचय कराया. १९४७ में प्रदर्शित "आपकी सेवा में" लता दीदी को पार्श्व गायन का पहला अवसर मिला. बस फिर क्या था, लता दीदी ने अपनी सुरीली आवाज़ का वो जादू चलाया कि थोड़े अन्...

"हैप्पी न्यू ईयर"...

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                                                         " हैप्पी   न्यू   ईयर "... आज (३१ दिसम्बर)   रात   १२   बजे   घड़ी   की   सुईयों   के   मिलन   के   साथ   ही   कर्णभेदी   संगीत   पर   भौण्डे - बेहूदा   नाच   के   बीच   छलकते   जामों   के   टकराने   के   साथ   कहीं " हैप्पी   न्यू   ईयर "  का   जल्लोष सुनाई देगा ,   तो   कहीं   माता - पिता - बड़े - बुज़ुर्गों   के   चरणस्पर्श   कर   आशीर्वाद   प्राप्ति   और   दुग्ध - मिष्ठान्न   के   वितरण   के   साथ   एक - दूसरे   को   नव...

"ऊपर आका नीचे काका"

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"ऊपर आका नीचे काका", इतनी बड़ी संज्ञा, भारतीय सिने जगत के इतिहास में शायद ही किसी कलाकार को मिली हो। जी हां, हम बात कर रहे हैं, भारतीय सिने जगत के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना की।  राजेश खन्ना का वास्तविक नाम जतिन अरोरा था। उन्हें परिवार के क़रीबी रिश्तेदार खन्ना दम्पत्ति ने गोद लिया था। स्कूल में जतिन के सहपाठी रहे रवि कपूर, सुप्रसिद्ध अभिनेता जीतेन्द्र के नाम से जाने जाते हैं। जतिन को अभिनय का शौक़ स्कूली दिनों से ही था जो वक़्त के साथ बढ़कर जुनून में बदल गया।  जतिन को राजेश नाम उनके चाचा ने दिया तो जीतेन्द्र और उनकी धर्मपत्नी शोभा ने राजेश को काका कहना शुरु किया। राजेश खन्ना ने ही पहले आॅडिशन में जीतेन्द्र को कैमरे के सामने संवाद अदायगी सिखाई। बेहद आकर्षक व्यक्तित्व के धनी, ख़ूबसूरत राजेश के लिये फिल्मी सफ़र की शुरुआत आसान रही और २३ वर्ष की उम्र में, १९६६ में प्रदर्शित अपनी पहली ही फ़िल्म आख़री ख़त से उन्होंने फ़िल्मी दुनियां में पहचान बना ली। आशा पारेख के साथ आई फ़िल्म राज़ भी बेहद सफल रही। लेकिन सफलता का रेकाॅर्ड तोड़ दौर तो अभी आना बाक़ी था। और ये दौर शुरु हुआ, १९६९ में ...

कोरोना से बचना मात्र ही नहीं, बल्कि इसे पूरी तरह मारना है

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प्रति ,  श्री मनसुख मांडवियाजी ,  केन्द्रीय मन्त्री ,  स्वास्थ्य एवम् परिवार कल्याण विभाग ,  भारत सरकार.   विषय: कोरोना पर तत्काल दिशा निर्देश जारी/अनिवार्य किये जाने बाबद्.   मान्यवर ,  जयहिन्द. जैसा कि आपको विदित ही है , कोरोना की दूसरी लहर ने समूचे विश्व समेत हमारे देश में भी भीषण तबाही मचाई थी , देश भर में हाहाकार त्राहिमाम् मचा डाला था. अब पुनः नए एवम् पहले से कहीं अधिक ख़तरनाक जीवाणु के साथ कोरोना अपने पैर पसार रहा है , देश में कोरोना के मरीज़ों की संख्या लगातार और बड़ी तेज़ी से बढ़ती जा रही है. स्वास्थ्य विभाग को बिना विलम्ब , तत्काल इस सन्दर्भ में अनिवार्य दिशा-निर्देश जारी करने चाहियें: १. चीन , चीन के निकटतम देशों , खाड़ी देशों से विमानों-जहाज़ों , यात्रियों-वस्तुओं-सामान इत्यादि की आवाजाही पूरी तरह से बन्द की जाए. २. समस्त प्रकार के धार्मिक , सामाजिक , राजनैतिक , सार्वजनिक आयोजनों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाए जाएं. ३. विमानों , जहाज़ों , बसों , ट्रेनों एवम् यातायात तथा परिवहन के अन्य समस्त साधनों से यात्रा...