और कितनी चाहिये अभिव्यक्ति की आज़ादी?

तो अब ८० पार जाकर * अमिताभ बच्चन जी * को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर सन्देह हो रहा है. तो आदरणीय अमिताभजी, पैसा छापने से फ़ुर्सत मिले तो ज़रा कुछ महत्वपूर्ण बातें याद कर लें. अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ लेकर ही कुछ लोग: देशविरोधी नारे लगा रहे हैं. सेना के शौर्य पर सवाल कर रहे हैं. नारे लगाने वालों का समर्थन कर रहे हैं. प्रदर्शन-आन्दोलन के नाम पर सड़कें और रास्ते जाम कर रहे हैं. आतंकवादी की फांसी रुकवाने आधी रात को कोर्ट खुलवा रहे हैं. पाकिस्तान ज़िन्दाबाद और ख़ालिस्तान ज़िन्दाबाद के नारे लगा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद प्रभु श्रीराम मन्दिर का विरोध कर रहे हैं. हास्य-व्यंग्य की आड़ में सनातन धर्म-देवी-देवताओं का घोर अपमान कर रहे हैं. एक राजनैतिक दल और उसकी सरकार के विरोध की आड़ में देश का विरोध कर रहे हैं. अफ़ज़ल-बुरहान-याक़ूब-सोहराब-इशरत समेत तमाम आतंकियों और उनके पालने वालों का समर्थन कर रहे हैं. देश के प्रधानमन्त्री तक का खुलेआम अपमान कर रहे हैं, उनके प्रति अमर्यादित भाषा और शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं, उन्हें अपशब्द कह रहे हैं और यहाँ तक कि उन्हें हट...