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मुस्लिम आरक्षण की मांग: क्या समूचा विपक्ष भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की साज़िश रच रहा है

समूचे विपक्ष द्वारा, एक स्वर में, मुस्लिम आरक्षण की न केवल पुरज़ोर मांग की जा रही है, बल्कि कांग्रेस समेत अनेक विपक्षी दलों ने तो अपने शासित राज्यों में तो पिछड़े वर्ग का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दे भी डाला है, कर्नाटक इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो ये उठता है कि आख़िर धर्म के नाम पर आरक्षण क्यों और कैसे? इसके दो ही रास्ते हैं, बाबा साहेब अम्बेडकर जी के संविधान को बदलकर आरक्षण सीमा को पचास प्रतिशत से बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण दिया जाए या बाबा साहेब की वर्तमान आरक्षण व्यवस्था को ध्वस्त करते हुए पिछड़े, आदिवासी, अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को छीनकर मुसलमानों को दे दिया जाए। लेकिन ये साज़िश मात्र यहीं ख़त्म नहीं होती। देश में मुसलमानों की तादाद बढ़ाकर भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के लिये समूचा विपक्ष एकजुट होकर न केवल: रोहिंग्यों बांग्लादेशियों पाकिस्तानियों को भारत में बसाने की पुरज़ोर वक़ालत कर रहा है, बल्कि अपने शासित राज्यों में भारी संख्या में बसा भी चुका है। इतना ही नहीं: CAA/NRC जनसंख्या नियन्त्रण क़ानून समान नागरिक संहिता क़ानून का विरोध भी इसी भयंकर सा...

क्या भारत को मुल्लिस्तान बनाने की शुरुआत हो चुकी है?

भारत की ९९ प्रतिशत समस्याओं की जड़, दो तथाकथित स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा, अंग्रेज़ों की वह पर, सनातनियों के साथ: छल कपट धूर्तता मक्कारी विश्वासघात से किया गया तथाकथित बंटवारा है, जिसके तहत एक मुस्लिम देश तो बना डाला लेकिन भारत को Secular देश घोषित कर दिया। इस बंटवारे के चलते न केवल लाखों सनातनियों की ख़ून से लथपथ कटी-पिटी लाशें नापाकिस्तान से भारत आईं बल्कि आज पाकिस्तान, बांग्लादेश में रह रहे सनातनी नारकीय जीवन जीने पर मजबूर हैं। जिन तथाकथित स्वतन्त्रता सेनानियों ने हिन्दुस्तान का बंटवारा किया था, आज उन्हीं के नाजायज़ पिल्ले Vote Bank की वाहियात राजनीति के लिये, रोहिंग्यों और अवैध बांग्लादेशियों को भारत में बसाने की पुरज़ोर वक़ालत करते हुए, बचे-खुचे भारत को भी नर्क बनाने पर तुले हैं, जिन्हें तथाकथित Secular दल्लों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। यदि अब भी इन्हें कुचला नहीं गया तो समझ लीजिये, हिन्दुस्तान के मुल्लिस्तान बनने में अब ज़रा भी देर नहीं। वैसे, देश भर में अनेक स्थान मुल्लिस्तान बन चुके हैं, सनातनियों के पलायन के दौर शुरु हो चुके हैं।

"हैप्पी न्यू ईयर"..

"हैप्पी न्यू ईयर" आज रात १२ बजे घड़ी की सुईयों के मिलन के साथ ही कर्णभेदी संगीत पर भौण्डे-बेहूदा नाच के बीच छलकते जामों के टकराने के साथ कहीं "हैप्पी न्यू ईयर" का जल्लोष सुनाई देगा, तो कहीं माता-पिता-बड़े-बुज़ुर्गों के चरणस्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्ति और दुग्ध-मिष्ठान्न के वितरण के साथ एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई-शुभकामनाएँ-शुभाशीष का आदान-प्रदान होगा.. नववर्ष की प्रातः काल कोई होटल, फार्महाउस, अस्पताल, नाले, सड़क पर, बीती रात और रात के साथियों को कोसते तो कोई मंदिर-मस्ज़िद-गिरिजा-गुरुद्वारे में शीश नवाकर बीती ग़लतियों के लिये क्षमा माँगने के साथ ही आने वाले समय में अपने आप सेकुछ संकल्प करते तो कोई अपने, अपने परिवार और प्रियजनों के उज्जवल भविष्य के लिये योजनाएँ बनाते दिखाई देगा.... भले ही राष्ट्रीय नववर्ष स्मरण हो ना हो, उत्सव मनाएँ ना मनाएँ, लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय नववर्ष मनाने में कहीं कोई चूक, कोर-कसर बाक़ी नहीं रहनी चाहिये.. बहरहाल: दुनियाँ यही है, दस्तूर यही है और जब तक ये दुनियाँ है, ये सब कुछ इसी तरह बदस्तूर जारी रहेगा.. "समस्त भारतवा...

ये करारी-प्रचण्ड हार किसकी?

ये करारी-प्रचण्ड हार किसकी? हाल ही में सम्पन्न विधानसभा चुनावों में कॉंग्रेस Party की न केवल करारी-प्रचण्ड हार हुई है बल्कि दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, अशोक गहलोत, सुरेश पचौरी जैसे  दिग्गज कॉंग्रेसी नेताओं के राजनैतिक Career का भी अन्त हो गया है, और ये अन्त इस प्रकार हुआ है, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं होगी.  लेकिन आख़िरकार बड़ा सवाल तो ये उठता है कि दर असल ये हार कॉंग्रेस की है या घेंडी-वाड्रा 'ख़ान'दान की?  लेकिन प्रथम दृष्टया आँकलन ही कर लिया जाए तो इस सवाल का जवाब बेहद आसान है, ये हार कॉंग्रेस से ज़्यादा घेंडी-वाड्रा 'ख़ान'दान की है और संकेत बिल्कुल साफ़ हैं कि देश की जनता अब भारतीय राजनीति में घेंडी-वाड्रा 'ख़ान'दान को देखना नहीं चाहती. शायद ये बात कॉंग्रेसी भी अच्छी तरह जानते और मानते हैं लेकिन लाचारीवश बोल नहीं पा रहे क्योंकि 'रजवाड़े' के ख़िलाफ़ बोलने का नतीजा अनेक लोगों ने देखा और भुगता है. लेकिन आख़िरकार ये कब तक चलेगा? क्या कॉंग्रेस के नेता-कार्यकर्ताओं, ख़ासतौर पर युवाओं का राजनैतिक Career और भविष्य यूँ ही न केवल दाँव पर लगा रहेगा बल्कि समाप्त ही ...

"पनौती" कौन?

"पनौती" कौन? पनौती यानी मनहूस. जी हाँ, इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल किया था एक बिगड़ैल शहज़ादे ने, देश के यशस्वी प्रधानमन्त्री और विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय व्यक्ति के लिये, जो ख़ुद न केवल बेहद निकम्मा-नकारा-असफल व्यक्ति है, बल्कि जिसे भारत के इतिहास-भूगोल-अर्थतन्त्र-सभ्यता-संस्कृति-रीति-रिवाजों-परम्पराओं के बारे में कुछ भी नहीं पता और यहां तक कि जिसे राष्ट्रगान भी नहीं आता.  वो चमचों-चाटुकारों-दरबारियों के बिना एक कदम नहीं चल सकता, लिख-पढ़-बोल नहीं सकता. कहने के पास उसका अपना कुछ नहीं है, सबकुछ बाप-दादी, पिता के ननिहाल का ही है. जीवन में उस व्यक्ति की अपनी कोई उपलब्धि-सफलता नहीं यहाँ तक कि उसका अपने जीवन का कोई ध्येय-लक्ष्य नहीं, बस जहाँ चाटुकार-दरबारी कह दें, वो निकल पड़ता है और जब इस पर भी कुछ हासिल न हो तो सहानुभूति की नौटंकी यानी Emotional Blackmailing शुरु कर देता है, "मेरी दादी, मेरे पिताजी......" जिन्हें क्रमशः ३९ से अधिक एवं साढ़े ३२ साल हो चुके हैं. अरे, कब तक उनके नाम पर ख़ुद को राजगद्दी सौंपे जाने की भीख़ माँगते र...

विधानसभा चुनाव २०२३, Semi Final या Final?

विधानसभा चुनाव २०२३, Semi Final या Final? यदि तमाम Exit Polls को आधार मानें तो इस बार के विधानसभा चुनाव अनेक दिग्गज नेताओं के राजनैतिक Career के अन्तिम अथवा समाप्ति के चुनाव होंगे. जिनमें मध्यप्रदेश में कॉंग्रेस से दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, सुरेश पचौरी तो भाजपा से कैलाश विजयवर्गीय और उमा भारती. क्योंकि यदि मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा सरकारें बनीं तो दिग्विजय, कमलनाथ, पचौरी के राजनैतिक Career का अन्त सुनिश्चित है तो दूसरी ओर कैलाश विजयवर्गीय का राजनैतिक Career भी हार की प्रबल आशंकाओं के चलते दांव पर लगा हुआ है. उमा भारती की बात की जाए तो Party के प्रति अपने नरम-गरम रवैये, चुनाव में निष्क्रीयता, केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल से निकाले जाने के चलते उनका राजनैतिक Career तो समाप्त ही माना जा सकता है. लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण एवं विचारणीय बात ये है कि पाँच राज्यों का विधानसभा चुनाव होते हुए भी ये चुनाव पूरी तरह मोदी बनाम राहुल में परिवर्तित हो चुका था और इसे मोदी बनाम राहुल बनाने में दोनों ही दलों के नेता-कार्यकर्ताओं ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी...

लोकतन्त्र उत्सव-मध्यप्रदेश

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                                                          लोकतन्त्र उत्सव-मध्यप्रदेश आगामी १७ नवम्बर को हम सभी को लोकतन्त्र महोत्सव की अनिवार्य परम्परा का निर्वहन अर्थात मतदान करना है. स्वच्छ, स्वस्थ लोकतन्त्र की स्थापना का सबसे अनिवार्य तत्व है "आदर्श आचार संहिता". तो आईये, मिलकर संकल्प लें कि हम न केवल स्वयं "आदर्श आचार संहिता" का पूर्ण परिपालन करेंगे वरन दूसरों को भी इसका पालन करने हेतु प्रेरित-प्रोत्साहित करेंगे.  इसके लिये सबसे पहले हमें "आदर्श आचार संहिता" के मूलभूत सिद्धान्तों एवं तत्वों का पूर्ण ज्ञान होना अत्यन्त अनिवार्य है.  १.  शासकीय भवन-कार्यालय-मन्त्रालय-विद्या लय-महाविद्यालय-विश्वविद्यालय- चिकित्सालय एवं अन्य किसी भी प्रकार की शासकीय सम्पत्ति पर किसी भी प्रकार की प्रचार सामग्री जैसे: पर्चे, बैनर, झण्डे,  पेंटिंग,  पोस्टर, होर्डिंग, फ़्लैक्स इत्यादि न लगाना तथा किसी के द्वारा ऐसा करते पाए जाने पर तत्...

महानायक ही नहीं, दिलों के नायक

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  हिन्दी के सुविख्यात कवि श्री हरिवंशराय बच्चन और समाजसेविका श्रीमती तेजी बच्चन के यहाँ ११ अक्टूबर १९४२ को जब पहली सन्तान ने जन्म लिया तब शायद किसी ने सपने में भी ये सोचा नहीं होगा कि क़द के साथ-साथ उसकी ख्याति ऊँची होकर विश्व भर में छा जाएगी. देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत श्री हरिवंशराय बच्चन ने बड़े दुलार से उस बालक का नाम इंक़लाब रखा लेकिन बाद में अपने अभिन्न मित्र और सुविख्यात कवि श्री सुमित्रानन्दन पन्त के कहने पर परिवर्तित करके अमिताभ नाम दिया. अमिताभ, जिसका अर्थ है सदैव दैदीप्यमान, कभी न मिटने वाला प्रकाश अथवा सूर्य. वाकई, कितना सार्थक साबित हुआ ये नाम. सुविख्यात कवि और समाजसेविका के पुत्र होने और देश के सबसे बड़े राजनैतिक घराने से गहन पारिवारिक सम्बन्धों के बावजूद अति विलक्षण प्रतिभा के धनी अमिताभ ने तो अपने बलबूते पर कुछ और ही करगुज़रने की ठान ली थी. स्कूली दिनों से शुरू हुआ अभिनय का शौक़ या कहें कि जुनून कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म होने के साथ-साथ और भी बढ़ता गया. हालांकि, १९६३ से १९६८ तक पाँच साल कलकत्ता में दो प्रतिष्ठित कम्पनियों में नौकरी भी की, लेकिन मन में तो कुछ और ही चल र...

तेज़ी से बढ़ते Cyber या Online अपराध:

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ते ज़ी से बढ़ते Cyber या Online अपराध: समूचे देश में Cyber या Online अपराधों की सँख्या लगातार एवं तेज़ी से बढ़ती जा रही है. विगत कुछ वर्षों में: Blackmailing,  Online ठगी या Fraud, Bank एवं अन्य Account Hacking ,  इत्यादि की घटनाओं में तेज़ी आई है.  हम मानें या ना मानें, हमारे साथ होने वाली Cyber या Online अपराध की घटनाओं के ज़िम्मेदार हम स्वयं भी हैं. जाने-अनजाने हम ऐसी घटनाओं के ज़िम्मेदार या भागीदार हो जाते हैं. जैसे: Unknown असुरक्षित Site या Portal से ख़रीदारी करके, अपने Login Credentials या Details जैसे: Login ID, Password, OTP, Registered Number, Registered e-mail ID इत्यादि Share करके, फ़र्ज़ी Phone Call/e-mail ID पर गोपनीय जानकारी Share करके,   अज्ञात Web Link, Website, Message पर Click या उसे Open करके, अज्ञात या फ़र्ज़ी Online Survey में भाग लेकर, Online Game, Lottery, Job/Work Offers के ज़रिये,  व्यक्तिगत दस्तावेज़ों और परिचय-पत्रों जैसे: आधार Card, PAN Card, समग्र ID, Voter ID, Licence को Share करके,       Social Media पर व...

हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई एवम् अनन्त शुभकामनाएँ💐

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  "Happy Hindi Day" हिन्दी दिवस पर हमें इस तरह की शुभकामनाएँ, बधाईयाँ भी देखने-सुनने को मिल जाती हैं। ग़लती इनकी तो है लेकिन इनसे कहीं ज़्यादा सरकारों और राजनेताओं की जो हिन्दी को आज तक समूचे हिन्दुस्तान में मान्यता, दर्जा नहीं दिला पाए। हिन्दी को: समूचे देश में अनिवार्य किया जाना चाहिये, पाठ्यक्रमों में सम्मिलित कर अनिवार्य किया जाना चाहिये, आम बोलचाल की भाषा में केवल हिन्दी का ही प्रयोग किया जाना चाहिये, लेखन में अन्य भाषा की अनिवार्यता न हो तो केवल हिन्दी का ही प्रयोग किया जाना चाहिये। लेकिन इसके विपरीत, आजकल तो अंग्रेज़ी का चलन-प्रचलन-प्रयोग मानो शान का प्रतीक ही बन गया है। आम, साधारण बोलचाल में एवम् जहाँ अनिवार्य न हो वहाँ भी अंग्रेज़ी हांकना उपलब्धि समझा जाने लगा है। कोई भी भाषा बुरी नहीं होती, प्रत्येक भाषा का अपना महत्व है, और भारत तो भाषाओं-बोलियों का देश है। भारत में २२ भाषाएँ एवम् लगभग साढ़े १९ हज़ार बोलियाँ मातृभाषा के रुप में बोली जाती हैं। राष्ट्रभाषा एवम् मातृभाषा के अतिरिक्त अन्य भाषा-भाषाओं का ज्ञान होना भी अच्छी बात है लेकिन प्राथमिकता, सर्वोपरिता ...

जानलेवा DJ पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाया जाए

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जानलेवा DJ पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाया जाए     सवाल: क्या ध्वनि कम्पन/प्रदूषण भी अकाल ,  अकस्मात् मृत्यु का कारण बनता जा रहा है ?  जवाब: बिल्कुल , हाँ तो आख़िर कैसे बचा जाए ? आईये पहले कुछ आँकड़ों पर नज़र डालते हैं: १६ दिसम्बर २०२२: सिवनी-मध्यप्रदेश ,  ६० वर्षीय महिला २७ फ़रवरी २०२३: शिवनी गांव-किनवट तहसील ,  नांदेड़ ,  १९ वर्षीय विश्वनाथ १८ जनवरी २०२३: रीवा-मध्यप्रदेश ,  ३२ वर्षीय अभय सचिन ०२ सितम्बर २०२२: बरेली-उत्तरप्रदेश ,  प्रभात २५ फ़रवरी २०२३: परदी गांव ,  निर्मल ज़िला ,  तेलंगाना ,  १९ वर्षीय मुत्यम २२ फ़रवरी २०२३: माधोगढ़ ,  ज़िला उरई ,  उत्तरप्रदेश ,  १६ वर्षीय गोलू १२ दिसम्बर २०२२: अल्मोड़ा ,  उत्तराखंड ,  बेटी की शादी में   पिता की   मृत्यु २५ नवम्बर २०२२: मंडुआडीह ,  वाराणसी ,  ४० वर्षीय मनोज १२ नवम्बर २०२३: पाली-राजस्थान ,  ४२ वर्षीय अब्दुल सलीम पठान ०३ मार्च २९२३: मनिथर गांव ,  ज़िला सीतामढ़ी ,  बिहार ,  ...